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एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला

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एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला
by महेंदर मिसिर
301337एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेलामहेंदर मिसिर

एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला
घटा गरजेला घन घोर देवरा जोगिया
कारे-कारे बदरा हरि से कहिहऽ मोर सनेसवा
जोबना करेला तन जोर देवरा जोगिया।
आधी-आधी रतिया रामा बोलेला पपीहरा
जियरा ना माने अब त मोर देवरा जोगिया।
कहत महेन्द्र मोहन गइलें कवना देसवा
तारा गिनत होला भोर देवरा जोगिया।


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