Author:महेंदर मिसिर
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महेंदर मिसिर (1865 - 1946) |
भोजपुरी कवी |
रचनाओं
[edit]भक्ति रचनाएँ
[edit]- पढ़े छवो शास्त्र ओ अठारहो पुरान देखे
- कइसे जाईं ससुरारी
- खेलइत रहलीं हम सुपुली मउनियाँ
- हे पिंजरे के मैना भजन कर राम के
- जा मुख राम नाम न आवे
- लोक में अविद्या के अनेक बकवाद भरे
- गोकुला नगरिया में बाजेला बधइया
- कुछो दिन नइहरा में खेलहूँ ना पवनी
- मन रे भज ले सीताराम
- रे मन जब जैसा तब वैसा
- अंजनी ललनवाँ अजबे लाल बा बदनवाँ
- आहो गदाधारी नजरिया तनी फेरी
- सीता राम गाई भोला डमरू बजावेलें
- बँसहा चढ़ल अइले शिव मतवालवा हे
- निपटे बउराहा गौरा दूलहा तोहार
- बँसहा चढ़ल शिव ठाढ़े दुअरवा
- गउरा ऐतन तपवा कइलू तू
- जेकरा बैला के असवारी
- ई त बूढ़वा दुलहवा बड़ा मजेदार
- भजो रे मन शंकर नाम उदार
- हर हर कर नत तरत तरन तर
- हमारे मन बसि गइलें बमभोला
- झूले रामचन्द्र रघुरइया देखऽ चारो भइया ना
- सभका के तरलऽ रामजी हमरा के तारऽ
- अइसहीं बितइहों कि चितइहों चित लाई के
- भजि लऽ रामजी के नइया बेड़ा पार होई
- चम्पा चमेली के हरवा बना लऽ
- धावो कृष्ण मुरारी
- एके गो मटिया के दूइ गो खेलवना
- सखि हो प्रेम नगरिया हमरो छूटल जात बा
- माया केतनो बिटोरबऽ एक दिन जाहीं के परी
- राग कीन्हीं रंग कीन्हीं ओ कुसंग कीन्हों
- धन का घमंड प्यारे मन से तू दूर कर
- टिकुलिया तरके बिंदिया हजार जीउआ मारे राम
- चार दिन की जिन्दगी में चेत लो सचेत होय
- मुट्ठी बाँध आए कुछ नेकी ना कमाए
- करके दगाबाजी पाजी अब तो अमीर बन के
- हे हरि कवन उपाय करूँ मैं
- ऐ रे दगाबाज छटा देखु रघुनंदन को
- नीको लागे गंगा तोहरी लहरिया हो
- धोबी से धोबी नहीं लेत हैं धुलाई नाथ
- चाहे हमें झिझकारि दुराइए चाहे हमें लेलकारि डेरावो
- अइले गरमी के हो महीनवाँ
- अलख निरंजन प्रभु हो तू ही दुखभंजन
- माया के नगरिया में लागल बा बजरिया
- भजु मन राम नाम उदार
- जेठ बइसाखवा के तलफी भुभुरिया
- कहाँ मिलिहें मोरा अवध बिहारी हो
- फिरि जा भरथ भवनवाँ हो
- कागको कपूर अवरो मर्कट को भूषण जइसे
- सेबरी दुसाधिन बइठी करेली सगुनवाँ मोरा घरे
- मोरा घरे अइलें पहुनवाँ हो दशरथ के लाल
- मारा मारा कहि के
- तीन मुट्ठी चावल लेकर सुदामा को तारे
- अबहूँ जो दरसन न देवोगे बिहारी लाल
- तारिहों न राम जो पे राम की अदालत में
- मोह माया जाल में फँस के भये न्यारे आप
- सभी दिन होत न एक समान
- मोरा भोला अड़भंगी कहाँ विलमे
- हे कृष्ण बँसुरिया वाले तुम पर लाखों परनाम
- भरोसा रही एक अंजनी कुँवर के
- फड़कत भुजदंड मार्तण्ड को छिपाय लिन्हों
- नवटंकी
- सबरी की मनोदशा
- देखो भक्ति के कस में बस में आ गइलें राम
- ऊँख में मधुराई जइसे सेंधे में है नमकापन
- राम जी के विमुखी को सुखी कवन देखा कहीं
- ब्राह्मण तो पोथी लिए भागे जात खिड़की राह
- भागे नेवतहरी वस्त्र छोड़ि-छोड़ि द्वारन पे
- कमहीं के बस में नीम रिसी गृहस्थी लिए
- हे सिंहवासिनी देवी तुम पर लाखों परनाम
- हाथ जोड़ि पइयाँ पड़ी भइया हो
- बड़ा नीक लागऽ तारें भोला के बदनवाँ रे सखिया
- अम्बा स्तुति
प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ
[edit]- कर जोरी पूछेली जात के भीलीनियाँ
- कोहबर में अइलें राम इहो चारों भइया
- राम लखन मोरा बनके गवन कइलें
- अतना बता के जइहऽ कइसे दिन बीती राम
- घोड़वा चढ़ल उइलें राम जी पहुनवाँ
- जेवहीं बइठेलें दुलहा महादेव संगे
- अवध नगरिया से अइली बरियतिया सुनुरे सजनी
- सभवा बइठल राजा दशरथ दरपन मुँह देखेले हो
- कोमल कुमार गात देखि कामहुँ लजात
- भोरहीं के भूखे होइहें चले पग दूखे होइहें
- अवध नगरिया के राम दूनू भइया
- कबहीं ना देखली मैं अइसन ललनवाँ से जियरा सालेला
- छोटकी धोबिनियाँ बड़ा रगड़ी गुंजराइची लाइची
- कवना नगरिया के इहो दुनू भइया
- अजिर बिहारी चारों भइया हो रामा खेलत अंगनवाँ
- राम जी का सोहेला लाली चदरिया से
- कवना नगरिया के ईहो दुनू जोगिया
- तोहरो सूरत देखि हम मुरूछइलीं से
- जेंवहीं बइठेलें राम चारो भइया से
- मोरा राम जी पहुनवाँ के घुंघुर वाली बाल
- हम त सुनीले सखी राम जी पहुनवाँ से
- साँची कहो नृपलाल सँवलिया रे
- मोरा राम दुनू भइया राम से बनवाँ गइलें ना
- चकुनी जे हथिया पर बइठे राजा दशरथ हे
- राम जी जे अइलें पहूनवाँ गुजराइची लाइची
- घूमि-फिरी अइलों रामा अंगना बहरलों से
- मँड़वा में अइलें राम जी इहों चारो भइया
- झनक-झनक झन बिछुआ बाजे
- एसो के सवनवाँ जोबनवाँ रहि-रहि उमकेला
- हरे-हरे निमुआँ के हरे-हरे पातवा से ताही तले
- आज राम जी से खेलब होरी सखी
- देखो राम लखन खेले होरी
- मिथिला सहरिया के पतरी तिरियवा
- मिथिला सहरिया के पतरी तिरियवा हे
- फूल तूड़े गइली राम राजा जी के बगिया
- कइसे के तुड़िहें रामजी शिव के धनुहिया
- चउथेपन आए तब पुत्र हम पायो नाथ
- राम तन राम मन राम ही हमारो धन
- गंग गोदावरी ओ नदी नार पहार निहार रहे चहुँ ओरी
- छूट जात बड़े-बडे़ मुनियन के ग्यान ध्यान
- माघ ले जनवरी जरूर कहे आवन को
- सावन में स्याम सुन्दर किस देस में सिधारे
- ललित कलित कुसुमिति वन फूले पपिहा धूम मावे री
- ऊधो तुम सूधो हाये चले जाहू गोकुल से
- चढली जवनिया के विरहिनिया ए हरी
- बिरहिन बैठी राह में, नागिन आई धाय
- रून झुन बाजे रामा पाँव के पैजनिया
- हमरा से छोटी-छोटी भइली लरकोरिया
- पुरूब से आन्हीं भाइल पच्छिम से बरखा
- सूतल सेजरिया सखी देखेली सपनवाँ
- लाजो ना लागे स्याम गइलऽ मधुबनवाँ से
- रात कन्हइया कहाँ जाके हो रामा
- मोरा घरे अइलें हो दशरथ के लाल
- पिया मोरा गइलें रामा पूरबी बनिजिया
- ऊधो स्याम करे निठुराई हमसे प्रीत लगाई ना
- आहो कान्हा ई का कइलऽ
- स्याम-स्याम रटते-रटते पीयर भइलें देहिया
- बन के गोदनहरी कान्हा चललें जहँवा रहली राधा
- सूतल में रहनी सखिया देखनी सपनवाँ
- तोरे से बचन मैं तो हारी बालमा
- चढ़ली जवनिया भइली जिउआ के जंजाल
- आधी-आधी रतिया के पिहिके पपीहरा
- काँचे काँचे कलियन पर भँवरा लोभइलें
- अइसन करेजऊ के कइसे के बिसारी हो
- पानी भरे गइली राम जमुना किनारवा
- कइसे के आईं कान्हा तोहरी सेजरिया
- करि के गवनवाँ स्याम छोड़ ले भवनवाँ
- बिरहा सतावेला बिरहा सतावेला
- हँसी-हँसी पूछेली ललिता विसाखा से
- जबसे गइलें स्याम नीको नाही लागे धाम
- सासु मोरा मारे रामा बांस के छिऊँकिया
- नेहिवा लगाके दुखवा दे गइलें परदेसी
- पिया मोरा गइले सखि हे पुरूबी बनिजीया
- सखि हे चहुँ दिसि घेरे बदरिया
- पानी भरे जात रहीं पकवा इनारवा बनवारी हो
- गोखुला नगरिया में बाजेला बधइया से
- दगा दे के ना हो स्याम दगा दे के ना
- कृष्ण कन्हइया मोरा संग के खेलवना
- सावन में कन्हइया जरूर कहे आवन की
- गरजत असाढ़ मास पागल घन घोर चहुँ
- हे कचनार कदंब अनार रसाल तमाल गुलाल सुपारी
- बदरा क्यों गरजे घनघोर सजनवाँ अइलें नाही मोर
- पपीहा रे पीऊ की बोली ना सुनाव
- कींधौ वह देस में सनेस ही मिलत नाहीं
- सूतल सेजरिया सखिया देखेली सपनवाँ
- सपना में देखलीं सखिया स्याम के अवनवाँ
- कब मिलिहें पियवा हमार निरमोहिया रे
- चपला सी चमक चारू सुन्दर सोहावन स्याम
- चम्पा की चमक चारू केतकी कमाल करे
- लागी रे बालेपन से नजरिया हो
- फूल तूड़े गइनीं राम राजा जी के बगिया
- अब त राम जी पहुनवाँ हमार भइलें राम
- सोरहो सिंगार करि चलु रे सहेलिया
- मारो ना कोई ललन पर टोना
- राम की विदाई पर सखी
- मोरा राम दुनू भइया से बनवाँ गइले ना
- पातर-पातर गोरिया के पतरी कमरिया
- होते पराते चलि जइहो मोरे राजा
- झूले नवल राधे श्याम
- मैं कैसे ऊधो जोगिन भेस बनइहों
- देखहूँ के भइले सपनवाँ हो मोरा स्याम सुन्दर के
- मधुबनवाँ से मोर कान्हा अइहे कि दू ना
- लटपटात गिरत जात धाय-धाय शिथिल गात
- साँझ ओ विहान हम तो स्याम मुख हेरत हैं
- फाटल-फाटल बँसवा के बंसिया बनवलें से पोर-पोर
- निठुर कन्हैया मोरा सूध बिसरवलें से देखहूँ के भइलें सपनवाँ हो लाल
- खिरनी खैर गौर से देखो जामुन की सुम्मार नहीं
- हरित नव पल्लव द्रुम डोलत है बार-बार
- राजा के कुमार सभ तो निपट सुकुमार दोऊ
- धानी आसमानी खाकसाही ओ जंगली स्वेत
- चन्द्रमा बेचारे लज्जित होते बाटिका देख
- ले लो प्यारे फूल हमारे जरा लिहाज नहीं कीजै
- ठाढे़ पिक बयनी मृग नयनी लिये सुमन माल
- सुन्दर सोहावन वस्तु जितने हैं जनकपुर के चौहट बाजार प्यारे तुम को दिखलाऊँ मैं
- बैठी विधुबदनी कृशोदरी दरी के बीच चोटिन को खींच-खींच तिरछी निहारती
- कुम्हार कहता है राम से
- पटना से बैदा बोलाई दऽ, नजरा गइली गुईयाँ
- सून कह के गइलऽ श्याम हमरी भवनवाँ
- आ हो सुनु सजनी पिया बिना भइलें मन थोर
- बहार आई है झूलन की घटा छाई है सावन की
- होरी-होरी कहत दिन थोरी सी बची आली लिए पुष्प डाली चलो सरयू किनार पे
- प्रेम की नाँव कुदाँव फँसी मन मोर मल्लाह सलाह कहाँ है
- जब से कन्हैया गइलें गोकुल बिसारि दीहलें
- मिथिला नगरिया में अइलन दूनू भइया
- रीत से रहोगे कान्ह प्राण हूँ के मेरे प्राण
- छोड़ दो हमारी बाट रोको ना जमूना घाट
- नैन मतवारी सुनो गोप के कुमारी
- अटपट करोगे कान्ह मुरली छिनवाय लूँगी
- सुरमा सजीलें आँख दाँतन में मिस्सी भरे
- तोतई बादामी लाल सबुजी सुरंग रंग
- मैं कैसे होरी खेलूँ राम श्याम करे बरजोरी
- जहिया से पिया मोरा तेजलें भवनवाँ से सपनवाँ भइलें ना
- एक दिन रहलें राम जी हमनीं के खेलनवा अब होइहें डूमरी के फूल नू रे राजावा
- किंकिनी के शब्द मुझे घायल सी करत आज नुपूर आवाज मेरो बरबस मन लेता है
- भई है निहाल नृपलाला को देखि सीया एक टक लाई रही प्रेम रस भीना है
- घूमि फिरी अइले राम हमरी अंगनवा से जिया मानेना
- कोहबर में अइलें राम इहो चारो भइया आ हो सँवरियो लाल
- फूलि रह चम्पा द्रुम कुसुम कमाल करे, फूलत रसाल नन्द लाल नहिं आवे री
- मोरा उमके जोबनवाँ सजनवाँ नादान
- मोरा छोटका बलमुआँ के घुँघरवाली बाल
- हरे-हरे निंबुआ के हरे-हरे पातवा से हरे-हरे
- चातक चकोर मोर शोर करि बोले हाय घटा भी घमंड घेरी घेरी बर्षतु है
- तड़ तड़ तड़ तड़ात धड़ धड़ धड़ धड़ात घिरी गरज गरज जात तड़पत है तड़ाक दें
- छछकल नदिया ए ऊधोजी बहेली बड़ी जोर
- कहवाँ से आन्हीं आइल कहवाँ से पानी से अँचरवा उड़ि-उड़ि जाला हो लाल
- सुसुकत पनिया के चलली मोरी ननदी हे
- हमसे सहलो ना जाला ई जुदाई ऊधो जी
- पंतियो ना भेजे स्याम निपटे अनारी हे
- अंगुरी में डँसले बिया नगीनियाँ मोर बलटुआँ हो
- के मोरा मोरवा के रोड़वा से मरलन रे मायनवाँ
- फाटल-फूटल बांसवा के बंसिया बनवलऽ कि पोरे-पोरे
- नदिया किनारे कान्हा बंसिया बजावेलें
- मोरा पिछुअरवा रे नींबुआ के गछिया ए ननदिया मोरी रे
- ए जी, लाली पलंग जवांदानी तकिया
- टीकवा नगीना हउएँ टेरा नगीना
- घास गढे गइल रहलू भोर हीं सबेरे, छोटकी ननदी हो
- कलकतवा से मोर पिया अइहें कि दू ना
- लहरिया हमरो उठेला एराम
ग़ज़लें
[edit]- प्यारी-प्यारी कारी-कारी अब घटा आने लगे
- मिले जो यार तो इतना सनेस कह देना
- कर लो किसी को अपना या हो रहो किसी के
- दिल खोल के मिल ले सनम फिर हम कहाँ अब तुम कहाँ
- यार मिल जावो गले से अब तो फागुन आ गया
- ये हुस्न का है दौलत रखना छिपा-छिपा के
- भजो श्री राम को प्यारे उमिरिया बीत जाता है
- सुना है हम तो मिथिला में स्वयंवर होने वाली है
- दिल ले के यार मेरा आखिर दगा न करना
- मन राम को सुमिर ले दिन यों ही जा रहा है
- तजा है प्राण दशरथ ने जुदाई हो तो ऐसा हो
- सहते-सहते यारे सद्मा दिल में अरमां सो गया
- सुना था हमने मुनियों से इहाँ पर राम का आना
- गंग किनार ठाढ़ रघुनन्दन केवट-केवट बुला रहे हैं
- सदा जमाना रहा है किसका सदा जवानी रही है किसकी
- हे दीन दयाल कृपालहरी नैया भवपार लगा देना
- तुम तो पिया सुरलोक चले मेरी नइया खेवइया तो कोई नहीं
- रात भर झगड़े में उनसे गुफ्तगूँ होता रहा
- सावन का क्या बहार है जब यार ही नहीं
- कहो जी मोहन कहाँ से आयो हमें सबेरे जगा रहे हो
- या इलाही तू बचाना बेवफा के हाथ से
- काबा सही बुतखाना सही तुझे टूँढ ही लेंगे कहीं न कहीं
- कौन कहता है कि यारी में मजा होता है
- इस्कबाजी में मेरी जान रहे या न रहे
- मचाया धूम मनमोहन सखी री अबकी होली में
- मन राम भजो सब काम तजो क्या ठीक तेरे जिन्दगानी का
- यहाँ से राजन हटाओ झगड़ा सीया को दे दो श्रीराम जी को
- प्राण प्यारे बात मानो दे दो सीता राम की
- मुहब्बत जान लेती है बचा लो जिसका दिल चाहे
- दिल लगाने के लिए दिल आजमाना चाहिए
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