घास गढे गइल रहलू भोर हीं सबेरे, छोटकी ननदी हो
Appearance
घास गढे गइल रहलू भोर हीं सबेरे, छोटकी ननदी हो,
काहे भइलें इतना अबेर। छोटकी।
घसिया ना ले के अइलू कहऽ साँचे-साँचे हलिया छोटकी ननदी हो,
कहवाँ लगवलू अतना देर।
देहिया घूमिल भइलें सूखल मुँहवाँ, छोटकी ननदी हो,
काहाँ लागत भूतवा के फेर। छोटी।
रात दिन घूमतारू गलिया से गलिया, छोटकी ननदी हो
नइहर में कइलू त बसेर। छोटकी।
घरवा के काम तोहरा मनहीं ना भावे, छोटकी ननदी हो,
खोजत फिरे रसिया घनेर। छोटकी।
घरवा के काम तोहरा मनहीं ना भावे, छोटकी ननदी हो,
खोजत फिरे रसिया घनेर। छोटकी।
कहलें महेन्दर देखि तोहरो चलनियाँ, छोटकी ननदी हो,
होई जइबू एकदिन अनेर। छोटकी।
This work is now in the public domain because it originates from India and its term of copyright has expired. According to The Indian Copyright Act, 1957, all documents enter the public domain after sixty years counted from the beginning of the following calendar year (ie. as of 2024, prior to 1 January 1964) after the death of the author. |