जहिया से पिया मोरा तेजलें भवनवाँ से सपनवाँ भइलें ना
Appearance
जहिया से पिया मोरा तेजलें भवनवाँ से सपनवाँ भइलें ना।
रस भरल बचनवाँ से सपनवाँ भइलेंना।
एक मन करे राम साथे लागि जइतीं से दोसर मनवाँ ना।
पियऊँ देतें दरसनवाँ से सपनवाँ भइलेंना।
बिरहा के अगिया में भइली बिरहिनियाँ से भवनवाँ लागे ना।
जइसे जरत अँगनवा हो भवनवाँ लागे ना।
अब ना रहब राजा तोहरी महलिया हो ननदिया बोलिया ना।
महेन्दर सालेला बदनवाँ हो ननदिया बोलिया ना।
This work is now in the public domain because it originates from India and its term of copyright has expired. According to The Indian Copyright Act, 1957, all documents enter the public domain after sixty years counted from the beginning of the following calendar year (ie. as of 2024, prior to 1 January 1964) after the death of the author. |