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Page:Konkani Vishwakosh - Volume 4 Released.pdf/996

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वर्ण ইথাল হয়ত্ব আমহী अंतःस्थ ऊष्म काम कण्ठ अ अी क्, २व्, ण्, घ्, ड् ह् कण्ठ्य वर्णं (मोव ताळवे वर्ण) ताल इ ई च् छ् ज् झ् ञ् । य् शृ तालव्य वर्ण (ताळवे वर्ण) मूर्धा ऋ ट् छ् ड् ढ् ण् इ द्रु र् ष् मूर्धन्य वर्ण (श्र्वोपये वर्णं) दक्त त् यू द घु जू लत् झम् दन्त्य वर्ण (ढांतयें वर्णं) ओष्ठ उ ऊ पृ फु ब्र भू म् - - ओष्ठ्य वर्ण (ऑठयें वर्ण) नापिका ङ् ञ् प्य् ज् म् – - कनासिकय वर्णं (जाकयें वर्ण) कण्ठतालु ए ऐ - कप्ट - ताळतव्य वर्ण (मोव ताळ ताळवे वर्ण) कण्ठोष्ठ ओ औ - - कण्ठोष्ठ्य वर्ण (मोव ताळवे ऑठयें) লুলীত देि - दन्तोष्ठ्य वर्ण (दांत — 3ীন্তন্ত্র) शब्द विचार (Etymology) : एक वा अंदीक वर्ण एकठांय येवज घडिल्ल्या स्वतंत्र सार्थकं ध्वळीक शब्द म्हण्टात. हिंदी भाशेत 9. अथचेि जदऐन – क) एकार्थी श्व) अजेकार्थी ग) पर्यायवाची वा समाजार्थी घ) विलोम वा विपरीतार्थी २. प्रथोणाचे जदऐन - क) सामान्य शब्दावलीचे शब्द श्व) शब्द / तंत्रज्ञाजाचे उग) शब्द | अर्द तंत्रज्ञानाचे ३, इतिहासीक नदरेन – क) तद्भव श्व) तत्सम् ण) देशी वा देशज घ) विदेशी वा वेिटेशज क) रूढ़ श्व) योगिक आक्रनी তা) হাতাহান্ত व्याकरणीक विवेचळाचे व्नदऐन रूप परिवर्तजाच्या आधाशर ४. श्चनेचे नदऐन - રિાg() कोंकणी विश्वकोश : ४ शब्दांक दोन भाशांजी वांटल्यात : क) विकारी २व) अविकारी क) विकारी शब्द : ज्या शब्दांचे रुपांतरण जाता ताका विकारी शब्द म्हण्टात. विशेषजाम, सर्वजाम, क्रिया विशेशण हे विकारी शब्द 3मासात. श्व) अविकारी शब्द : ज्या शब्दांच्या श्ठपांत केळ्जाच एवंयचेंच परिवर्तज जायजा तांका अविकारी शब्द म्हण्टात. हातूंत क्रिया विशेषण, संबंध बोघक, समुच्चय बोधक (जोड) आत्नी उद्गारी वा उमाळी शब्द येतात. হালু হললা আক হাল্লাকলাফুল ওলক সংীি মিত্রী हेतु जें जवीज जवीन शब्द घडयता ताका शब्द - एचजा म्हण्टात. ती चार तरांजी जाता -१. उपसर्ग लावून २. प्रत्यय लावूज ३. संधी वएर्वी ४. समास वरदीं उपसर्ग (prefix) : हे शब्दांश शब्दाचे सुरवेक लागतात आजी अथ भितर विशेशत हाइटा, जाजाल्यार ताचो अर्थ बदलूज दिता, ताका उपसर्ग म्हणटात. हिंदी भाशंत जे उपसर्ग वापरतात ते अशे आसात - अ, अल, अध औ, दु, कु, के, स, सु, बिज, नि, बर आदी. प्रत्यय (suffix) : जे शब्दांश शब्दाच्या शेवटाक लाणूज ताचो अथ बदलता ताका प्रत्यय म्हण्टात. हे दोज प्रकारचे आसतात - क) कृत प्रत्यय एव) तत्धित प्रत्यय. - झसंधी : दोन लतामीं लाउींच्या वणच्यिा परम्पएक मेळाक लागूज जो विकार वा परविर्तज जाता ताका संधी म्हण्टात. देश्वीक देव+इव्द्र=ठेवेळ्द्र, झांधीचे तीन प्रकार आमतात - क) स्वर संधी एव) व्यंजज मंधी ग) विझर्ग संधी. SATH (compound noun) : Hălărăşūsā sasārā समाझ म्हण्टात. समाप्त म्हळ्याश् असली शब्द रचला जातूंत दोन वा दोजा परस अदीक अर्थाचे दृश्टिक लागूल परस्पर स्वतंत्र संबंध दवरपी स्वतंत्र शब्द, एचजेचे अांग असता. हिंदीत समासाचे चार मेद आसात -क) अव्ययीभाव समाप्त एव) तत्पुरूष समाप्त ग) द्वंद्व झमास घ) बहुव्रीही समाप्त. तत्पुरूष झमासाचे दोन भेद - कर्म धारय आजी द्विगु झमाझय प्रचलित आसात. पट - विचार : हिंदी भाशेत जेळ्ला श्वंयचोय शब्द वाक्यांत घोळटा तेब्जा तो व्याकरणाच्या जेमांत बांदूल उरता, आत्नी असल्या शब्दाक पद म्हण्टात. हिंदीत पांच प्रकारचे पद प्रयुक्त जातात - विशेशजाम, झर्वजाम, क्रिया, विशेशण, अव्यय. विशेशजाम : श्वंयचीथ व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदी आजी जामाचे गुण, धर्म, स्वभाव आििचो बोध जाता, त्या शब्दाक नाम म्हण्टात. संज्ञाचे / जामाचे मुश्वेल तीन भेद आसतात - क) व्यक्तिवाचक / विशेशजाम – मोद्वज, हिमालय, दिल्ली, शंशा आदी. एव) जातिवाचक नाम - मजीझ, जारी, दोंगर, व्हंय. श) भाववाचक �